House Rent New Rule 2025: 3 शानदार टिप्स जो किराएदार और मकान मालिक दोनों के लिए जरूरी

आज के समय में मकान किराए पर देना और लेना आम बात हो गई है। हर किसी के लिए किराए का मकान मिलना या देना जीवन की एक जरूरी जरूरत बन गई है। सरकार ने मकान मालिकों और किरायेदार दोनों के हितों की रक्षा के लिए 2025 में मकान किराए से जुड़े कई नए नियम लागू किए हैं।

यह नियम न सिर्फ मकान मालिकों के लिए नियमों को स्पष्ट करते हैं बल्कि किरायेदारों को भी उनके अधिकार और सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसलिए मकान किराए पर देने से पहले इन नए नियमों को समझना बहुत जरूरी हो गया है ताकि आप किसी भी कानूनी या आर्थिक गलती से बच सकें।

नए नियम मकान किराए की प्रक्रिया को पारदर्शी, सुरक्षित और दोनों पक्षों के लिए न्यायसंगत बनाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। अब सभी किराएदार और मकान मालिक के बीच तय होने वाला किराए का करार डिजिटल रूप से पक्का होना अनिवार्य हो गया है। डिजिटल स्टांप लगाने का नियम लागू होने के बाद बिना डिजिटल स्टांप के करेंट किराए के करार पर ₹5,000 का जुर्माना भी लग सकता है।

इस नयी व्यवस्था से झूठे करार, धोखाधड़ी, और विवादों की संभावना कम होगी। साथ ही अब हर राज्य में किरायेदारी के लिए पंजीकृत करार होना जरूरी होगा, जिसमें किराए का भाव, सुरक्षा राशि, मरम्मत जिम्मेदारी आदि स्पष्ट होंगे।

House Rent New Rule 2025

सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब मकान किराए पर देने के सभी करार डिजिटल रूप में स्टाम्प कराना अनिवार्य हो गया है। यह नियम 1 जुलाई 2025 से लागू हो चुका है। यदि मकान मालिक इस नियम का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें ₹5,000 का जुर्माना देना पड़ सकता है। डिजिटल स्टांप की वजह से करार की वैधता बढ़ेगी और विवाद होने पर यह एक मजबूत कानूनी सबूत के तौर पर काम करेगा।

इसके साथ ही राज्य सरकारें “मॉडल किरायेदारी अधिनियम” अपना रही हैं, जिसका उद्देश्य मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद को आसानी से और जल्दी सुलझाना है। इसके तहत किराए के करार को स्थानीय रेंट अथॉरिटी या किराया प्राधिकारी के पास पंजीकृत कराना होगा। इस प्रक्रिया से मकान पर कब्जा करने या अनियंत्रित किराया बढ़ाने जैसी समस्याओं पर रोक लगेगी।

नया कानून सुरक्षा जमा राशि को भी नियंत्रित करता है। अधिकतम दो महीने के किराए जितनी राशि सुरक्षा जमा के तौर पर ली जा सकती है। इसके अलावा, किराया वृद्धि पर भी नियंत्रण होगा। सामन्यतः किराए में हर साल 5% से अधिक वृद्धि नहीं हो सकती, और यदि वृद्धि 10% से अधिक होती है तो मकान मालिक को किरायेदार को 90 दिन पहले इसकी सूचना देनी अनिवार्य होगी। इससे किरायेदार के ऊपर अचानक आर्थिक दबाव नहीं पड़ेगा।

किरायेदारी समाप्त होने पर मकान मालिक को किरायेदार को सुरक्षा जमा राशि उसी दिन वापस करनी होगी, जिसमें सामान्य टूट-फूट की मरम्मत की कटौती की जा सकती है। मकान मालिक मरम्मत के लिए बिना अनुमति पैसे काट नहीं सकता और न ही आवश्यक सेवाएं जैसे पानी, बिजली आदि बंद कर सकता है जो किरायेदार के रहने के लिए जरूरी हैं।

नया नियम लागू करने का उद्देश्य और फायदा

इन नए नियमों का मकसद किराए की प्रक्रिया को पारदर्शी, सुरक्षित और न्यायसंगत बनाना है। लंबे समय से किराएदार और मकान मालिक के बीच विवाद आम हैं, जिनमें बिना उचित प्रक्रिया के मकान खाली कराना या किराया बढ़ाना शामिल है। नए नियम इन बिंदुओं पर स्पष्ट दिशा-निर्देश देते हैं जिससे दोनों पक्षों के अधिकार सुरक्षित हों।

डिजिटल स्टांपिंग और पंजीकरण से ये भी सुनिश्चित होगा कि सभी किराए के करार सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होंगे, जिससे धोखाधड़ी और जाली दस्तावेजों की संभावना कम होगी। इसके अलावा, किरायेदार के लिए यह सुरक्षा और विश्वास की बात है कि उनका मकान सुरक्षित है और किराए के नियमों का उल्लंघन नहीं होगा।

किरायेदार की मृत्यु या अनुबंध समाप्ति के बाद उत्तराधिकारियों को भी रेंट संबंधित दायित्वों का पालन करना होगा, जिससे मकान मालिक की सुरक्षा बनी रहेगी। वहीं, बिना उचित सूचना के मकान खाली न करने पर भारी आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है।

मकान किराए पर देने की प्रक्रिया और आवेदन में सावधानियां

यदि कोई मकान मालिक अपने मकान को किराए पर देना चाहता है तो उसे सबसे पहले डिजिटल स्टांप सुविधा से अपना किराया करार बनाना होगा। इसके लिए आमतौर पर संबंधित राज्य या लोकल पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। आवेदन में मकान की पूरी जानकारी, किराए की राशि, सुरक्षा जमा, किराये की अवधि और अन्य शर्तें स्पष्ट करनी होती हैं।

किरायेदार और मकान मालिक दोनों को यह सुनिश्चित करना होता है कि करार पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर हों और करार पंजीकृत हो। पंजीकरण के बिना नियमों का पालन नहीं माना जाएगा और कानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी। इस प्रक्रिया में किराए की वृद्धि, मरम्मत की जिम्मेदारी और मकान खाली करने के नियमों का भी उल्लेख अनिवार्य होता है।

मकान मालिक को ध्यान देना चाहिए कि वह किरायेदार से ज्यादा सुरक्षा जमा न ले, और आवश्यक मरम्मत की जिम्मेदारी पर स्पष्ट हो। अगर किरायेदार ने नुकसान किया है तो फोटो आदि दस्तावेज बनाए रखें ताकि गलत कटौती न हो सके।

निष्कर्ष

मकान किराए से जुड़े नए नियम मकान मालिक और किरायेदार दोनों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए बहुत जरूरी हैं। डिजिटल स्टांपिंग और करार पंजीकरण जैसी व्यवस्थाएं पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रक्रिया सुनिश्चित करती हैं। इसलिए मकान किराए पर देने या लेने से पहले इन नियमों को ध्यान से समझना और उनका पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि भविष्य में किसी भी विवाद या नुकसान से बचा जा सके। भूलकर भी इन नियमों की अनदेखी न करें।

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